♂️ आचार्य प्रशांत से मिलना चाहते हैं?लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: https://acharyaprashant.org/hi/enquir... आचार्य प्रशांत की पुस्तकें पढ़ना चाहते हैं?फ्री डिलीवरी पाएँ: https://acharyaprashant.org/hi/books?...➖➖➖➖➖➖#acharyaprashant #gita वीडियो जानकारी: 08.10.23, गीता समागम, ग्रेटर नॉएडाप्रसंग: ~ जीवन में ऐसा बिंदू कब आता है जिसके बाद उठ नहीं सकते ?~ हम जीव कहलाने के अधिकारी है या नहीं है ये किससे निर्धारित होगा ?~ चेतना की ऊँचाई किससे निर्धारित होती है ?~ चेतना की ऊँचाई कैसे जाँच सकते है ?~ जीवित होने का पैमाना क्या है ? ~ किसे जीवित कहलाने का हक नही है ?ये त्वेतदभ्यसूयन्तो नानुतिष्ठन्ति मे मतम्।सर्वज्ञानविमूढांस्तान्विद्धि नष्टानचेतसः।। ~ श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 3, श्लोक 32अहंकार में अंधकार मेंअज्ञान में मतिभ्रष्ट हैंकल उन्हें क्या कष्ट होवो आज ही जब नष्ट हैं~ आचार्य प्रशांत द्वारा सरल काव्यात्मक अर्थ अर्थ: जो अज्ञान से बँधकर, अँधेरे से बँधकर, जहाँ कोई रोशनी नहीं है (‘असूया’), मेरी बात नहीं मानते, उनको नष्ट ही समझ लेना; भविष्य में नहीं नष्ट होंगे, वो वर्तमान में ही नष्ट हैं। उनका आगे नहीं कुछ बुरा होगा, वो हैं ही नहीं कि उनका आगे कुछ बुरा हो; वो नष्ट हो चुके हैं।संगीत: मिलिंद दाते~~~~~